
डॉ० मनीष तिवारी प्राचार्य
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो शिक्षा के बढ़ते स्तर के साथ ही शिक्षा के तकनीकीकरण एवम् विशिष्टीकरण पर विशेष बल दिया जा रहा है। जब यही बात हम शिक्षक - शिक्षा के परिदृश्य में देखते हैं तो आज भी इस क्षेत्र में बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता महसूस होती है। शिक्षक-प्रशिक्षण विशेषकर प्राथमिक स्तर के शिक्षक - प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को और अधिक व्यवहारिक, प्रासंगिक तथा प्रायोगिक स्वरूप दिये जाने की आवश्यकता है ।
मेरा मानना है कि एक शिक्षक समाज के बहुत बड़े वर्ग को प्रभावित करता है, कभी-कभी तो दो या दो से अधिक पीढ़ियों तक को प्रभावित करता है । इस दृष्टि से शिक्षक को सकारात्मक, दूरदर्शी तथा समाज
के भावी बदलाव एवं आवश्यकताओं की पहचान करने वाला होना चाहिए । हमारा प्रयास होगा कि हम राष्ट्र निर्माण की दिशा में एन.सी.ई.आर.टी., एन.सी.टी.ई. तथा सरकार द्वारा निर्धारित उद्देश्यों को पूरा करते हुए नवीनतम पद्धतियों के माध्यम से भावी शिक्षकों में शिक्षण कौशलों का विकास करें, जिससे कि वो समाज के लिये अधिक से अधिक लोक कल्याणकारी सिद्ध हो सके ।
उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ ।