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प्रत्येक व्यक्ति का अपना एक आभा-मण्डल होता है। उसकी उपस्थिति ही घर-परिवार और समाज के लिये एक सम्बल होती है। सत्य ही है -
साधारण जीवन जीने को,
जग में मनुष्य सब आते हैं।
कुछ अजर-अमर होकर जीते,
कुछ जीकर भी मर जाते हैं ।।
ऐसे अजर-अमर महान लोगों में कुछ ही लोगों की गणना होती है। इसी सन्दर्भ में हम स्मरण करते हैं अपने पूज्य पिता जी का जिन्होंने अपने अनुपम व्यक्तित्व और कृतित्व से पूरे समाज का हित किया ।
शिक्षा जगत के अनमोल रत्न मेरे पिता जी का जन्म ही शिक्षा जगत को अनमोल खजाना देने के लिये हुआ था। उनके अथक प्रयास से आज कानपुर नगर में स्थापित ऑक्सफोर्ड मॉडल ग्रुप ऑफ इन्स्टीट्यूट के शिक्षण संस्थानों में दस हजार से अधिक विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करके अपना भविष्य सुधार रहे है। उन्होंने 1973 में बहुत पिछड़े क्षेत्र ट्रान्सपोर्ट नगर को चुना। उन्होंने शिशु शिक्षा निकेतन के नाम पर अपने सपने की नींव रखी। सन् 1984 में उन्होंने श्याम नगर में ऑक्सफोर्ड मॉडल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल खोला । इस विद्यालय की शुरुआत इन्होंने 128 बच्चों से की। कई बार कई भीषण विषम परिस्थितियों से भी उनका सामना हुआ। लेकिन कोई भी बाधा उनकी प्रगति में बाधक नहीं बन सकी । श्याम नगर में उन्होंने यू०पी० बोर्ड व सी०बी०एस०ई० बोर्ड दोनों का शिक्षण संस्थान खोला। वही पर बी0एड0 कॉलेज भी खोलकर उन्होंने शिक्षा जगत में बहुत ही श्रेष्ठ कार्य किया। इसके बाद उन्होंने महाराजपुर में ऑक्सफोर्ड मॉडल सीनियर सेकेण्ड्री स्कूल तथा बी. टी. सी. प्रशिक्षण केन्द्र की शाखाएँ खोली। इसके बाद उन्होंने एक नई संस्था सनिगवाँ में भी खोली । इस प्रकार शिक्षा जगत में मेरे पिता जी ने बड़ा ही सराहनीय कार्य किया । कविता और नाटक लिखने का भी उन्हें बड़ा शौक था। उनकी लिखी पुस्तकें गोरखपुर के महाराजपुर, राँची से प्रकाशित हुई । शिक्षा के क्षेत्र में परचम लहराने के साथ वे समाज सेवा के प्रति भी बहुत सजग थे । उन्होंने चुनौतियों और संघर्षों से कभी हार नहीं मानी। अन्त में पूज्य पिता जी और माता जी के चरणों में प्रणाम निवेदन करते हुए उनसे आशीर्वाद की कामना के साथ - हे पूज्य पिता जी कृपाधाम,
पिताजी
बस इतनी कृपा कीजिएगा |
हो वरद हस्त सिर पर मेरे
ऐसा आशीष दीजिएगा ।
अब मातृ-पितृ चरणों में यह
साफल्य हमारा अर्पित है। यह सब आशीष आपका ही
चरणों में आज समर्पित है।।
आलोक शर्मा प्रबन्धक / सचिव